Benefits Of Betel Leaves: पान तो आप कभी ना कभी खाये ही होंगे, लेकिन क्या आप जानते है इसके चमत्कारी लाभ के बारे में? पान के पत्ते चबाने से पाचनतंत्र से लेकर त्वचा तक सही रहता है, स्किन भी काफी ग्लो करने लगत है, और इसके अलावा कई बीमारियों को ठीक करने में भी सहायक होता है, इस लेख हम पान के पत्ते के चमत्कारी गुण के ही बारे में बताने वाले है।
पान का पत्ता जिसे वैज्ञानिक रूप से Piper betle के नाम से जानते है , भारतीय सभ्यता, संस्कृति में सदियों से एक प्रमुख स्थान रखता आया है भोजन के बाद इसे चबाने की परंपरा सिर्फ स्वाद के लिए नहीं बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण भी जाना जाता है, क्योंकि आयुर्वेद में इसे पाचक तथा रोगनिवारक गुणों वाला भी मानते है।
पान के पत्ते पाचन तंत्र के लिए क्यों हैं फायदेमंद?
पान के पत्ते को पाचन का एक प्रभावी टॉनिक माना जाता है क्योंकि इसमें मौजूद फाइबर और पॉलीफेनॉल्स पेट की परत को सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा अल्सर जैसी समस्याओं से बचाव में मदद करते हैं, जबकि आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद एक या दो पत्ते चबाने से पाचन एंजाइम्स का स्राव बढ़ता है जो भोजन को आसानी से पचाने में सहायता करता है.
और कब्ज से राहत प्रदान करने में इसके लैक्सेटिव गुण आंतों को साफ रखते हैं तथा एक अध्ययन में पाया गया कि पत्तों को पानी में भिगोकर पीने से पाचन क्रिया सही तरीके से चलती है, साथ ही इसके कार्मिनेटिव गुण गैस, एसिडिटी और पेट फूलने जैसी प्रॉब्लम को कम करते हैं जिससे भारी भोजन के बाद होने वाली असहजता में प्राकृतिक समाधान मिलता है, इसके अलावा पत्ते में मौजूद यौगिक शरीर से टॉक्सिन्स को निकालकर मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और वजन नियंत्रण में भी सहायता प्रदान करते हैं.
पान के पत्ते के अन्य स्वास्थ्य लाभ, मुंह से लेकर साँस तक.
पाचन के अलावा पान के पत्ते बहुमुखी गुणों से भरपूर होते हैं और कई अन्य स्वास्थ्य क्षेत्रों में फायदेमंद साबित होते हैं, जहां ये लाभ मुख्य रूप से पत्तों में मौजूद यूजेनॉल, चाविकॉल तथा एलाइलपाइरोकैटेकॉल जैसे कंपाउंड्स से प्राप्त होते हैं, और मुंह तथा दांतों की सेहत के लिए इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण बैक्टीरिया को मारते हैं।
जिससे सांस की दुर्गंध, मसूड़ों की सूजन तथा दांतों की सड़न से बचाव होता है तथा इसे प्राकृतिक माउथवॉश की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे सर्दी, खांसी या अस्थमा में पान के पत्ते की भाप लेने से कफ निकलता है और श्वसन नली साफ होती है क्योंकि इसके एक्सपेक्टोरेंट गुण गले की खराश तथा कंजेशन को कम करते हैं, साथ ही त्वचा और घाव भरने में इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को चमकदार बनाते हैं तथा संक्रमण से बचाते हैं।
जहां पत्तों का पेस्ट घावों पर लगाने से तेजी से हीलिंग होती है, इसके अतिरिक्त दर्द निवारक के रूप में इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव सिरदर्द, जोड़ों के दर्द तथा सूजन में राहत प्रदान करते हैं, जबकि इम्यूनिटी बूस्ट करने में यह विषाक्त पदार्थों को निकालकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मानसिक स्वास्थ्य के लिए इसके प्राकृतिक तत्व मूड को बेहतर बनाते हैं तथा तनाव कम करते हैं।
पान के पत्ते खाने का सही और स्वस्थ तरीका क्या होता है ?
पान के पत्ते को फायदेमंद बनाने के लिए इसे प्राकृतिक रूप में इस्तेमाल करना चाहिए तथा मिलावट जैसे चूना, कत्था या सुपारी से बचना चाहिए क्योंकि ये नुकसानदायक हो सकते हैं, जहां चबाकर खाने के तरीके में भोजन के बाद एक या दो ताजा हरे पत्ते चबाने से पाचन को तुरंत बूस्ट मिलता है, जबकि चाय या काढ़ा बनाने के लिए दो-तीन पत्तों को पानी में उबालकर चाय बनाई जा सकती है और दिन में एक-दो कप पी सकते हैं.
साथ ही पेस्ट या जूस के रूप में पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है या जूस निकालकर पिया जा सकता है, और खाने में शामिल करने के लिए इसे सलाद, चटनी या करी में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि शुरुआत में कम मात्रा से शुरू करके अपने शरीर की प्रतिक्रिया देखनी चाहिए।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. BuzzExpose इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें.)
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