Husband Criticism In Front Of Kids: पेरेंटिंग एक ऐसा सफर है जिसमें माता-पिता की हर हरकत बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण करता है। हाल ही में पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला है कि घर में माता-पिता के बीच नेगेटिव बातचीत, खासकर मां द्वारा बच्चों के सामने पति की बुराई करना, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है।
- पिता के प्रति सम्मान में कमी, पहला बड़ा नुकसान।
- नेगेटिव सोच का विकास और बच्चों में बढ़ता कन्फ्यूजन।
- असुरक्षा और तनाव का बढ़ना जिससे घर का माहौल प्रभावित होता है।
- भविष्य के आने वाले रिश्तों पर गहरा असर.
- मां की छवि पर नेगेटिव प्रभाव: जिससे बच्चे दूर होते हैं
- पेरेंटिंग टिप्स: सकारात्मक घरेलू माहौल कैसे बनाएं?
यह न केवल परिवार के रिश्तों को कमजोर करता है बल्कि बच्चों के भविष्य को भी काफी प्रभावित करता है। अगर आप भी जाने-अनजाने में ऐसा करती हैं, तो इस आर्टिकल में हम बताएंगे इसके 5 सबसे बड़े नुकसान और उन्हें कैसे दूर किया जाए। यह जानकारी पेरेंटिंग गाइडलाइन्स पर आधारित है, जो मॉडर्न फैमिली लाइफ के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
पिता के प्रति सम्मान में कमी, पहला बड़ा नुकसान।
बच्चों के मन में माता-पिता दोनों के लिए बराबर सम्मान होना बहुत जरूरी है। जब मां बच्चों के सामने पति को नीचा दिखाती है या उनकी कमियां गिनाती है, तो बच्चे धीरे-धीरे पिता के प्रति सम्मान कम करने लगते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बच्चे घर के माहौल से ही रिश्तों की बुनियाद सीखते हैं। अगर वे देखते हैं कि माँ, पिता का अपमान कर रही है, तो वे गलत समझने लगते है। इससे बच्चे बड़े होकर खुद भी गलत तरीके से व्यवहार करने लगते है।
नेगेटिव सोच का विकास और बच्चों में बढ़ता कन्फ्यूजन।
दूसरा नुकसान बच्चों की सोच पर पड़ता है। जब मां पति की शिकायतें करती है, तो बच्चे कन्फ्यूजन में पड़ जाते हैं। वे सोचते हैं कि जिस पिता से वे प्यार करते हैं, उनकी इतनी बुराई क्यों हो रही है? इससे उनके मन में नेगेटिविटी घर कर जाती है। कई मामलों में बच्चे खुद को दोषी मानने लगते हैं, जैसे कि उनके कारण ही माता-पिता के बीच लड़ाई हो रही है। मनोवैज्ञानिकों की रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह नेगेटिव सोच बच्चों में डिप्रेशन या एंग्जाइटी का कारण बन सकती है।
असुरक्षा और तनाव का बढ़ना जिससे घर का माहौल प्रभावित होता है।
तीसरा प्रभाव बच्चों की भावनात्मक सुरक्षा पर पड़ता है। बच्चों वाला घर शांत और प्यार भरा होना चाहिए, जहां बच्चे अपने आपको सुरक्षित महसूस करें। लेकिन बार-बार की शिकायतें और लड़ाई से बच्चे अंदर से तनावग्रस्त हो जाते हैं। वे कुछ कह नहीं पाते, लेकिन उनकी नींद, पढ़ाई और व्यवहार पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। हाल की स्टडीज में पाया गया है कि ऐसे बच्चे आत्मविश्वास की कमी से जूझते हैं और स्कूल में परफॉर्मेंस गिर जाता है।
भविष्य के आने वाले रिश्तों पर गहरा असर.
चौथा नुकसान बच्चों के भविष्य के रिश्तों पर पड़ता है। बचपन में माता-पिता के बीच कड़वाहट देखने वाले बच्चे बड़े होकर रिश्तों को नेगेटिव नजरिए से देखने लगते है। वे या तो खुद कठोर हो जाते हैं और हर रिश्ते में बुराई निकालते हैं, या रिश्तों से ही डरने लगते हैं। पेरेंटिंग गाइड्स में यह बताया गया है कि ऐसे बच्चों में इमोशनल बैलेंस की कमी होती है, जो उनकी मैरिज लाइफ या फ्रेंडशिप को प्रभावित करती है।
मां की छवि पर नेगेटिव प्रभाव: जिससे बच्चे दूर होते हैं
पांचवां और आखिरी नुकसान खुद मां की इमेज पर पड़ता है। जब मां पति की बुराई करती है, तो बच्चे न केवल पिता की इज्जत कम करने लगते हैं बल्कि मां को भी क्रोधित और नेगेटिव सोच वाली महिला के रूप में देखते हैं। इससे बच्चे मां से इमोशनली दूर हो जाते हैं और खुलकर बात करने से कतराने लगते हैं।
पेरेंटिंग टिप्स: सकारात्मक घरेलू माहौल कैसे बनाएं?
अब सवाल है कि इन नुकसानों से कैसे बचा जाए? एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि माता-पिता मिलकर बच्चों के सामने पॉजिटिव इंटरैक्शन बनाये रखें। अगर कोई डिस्कशन है, तो उसे प्राइवेट रखें। बच्चों को रिश्तों की अहमियत सिखाएं और घर में हंसी-खुशी का माहौल बनाएं। रेगुलर फैमिली टाइम, जैसे डिनर साथ में या गेम्स खेलना, बच्चों के मानसिक विकास में काफी मदद करता है। अगर आपको पेरेंटिंग चैलेंजेस फेस करने में दिक्कत हो रही है, तो काउंसलिंग लें। याद रखें, बच्चे घर से ही दुनिया सीखते हैं, इसलिए सकारात्मक माहौल को बनाये रखे।
नोट: यह आर्टिकल पेरेंटिंग और फैमिली हेल्थ पर आधारित है, जो मॉडर्न पैरेंट्स के लिए उपयोगी है। अगर आप और टिप्स चाहते हैं, तो कमेंट में बताएं!
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