Mystery Twist Love Story: तीन साल बाद लौटी प्रेमिका, लेकिन उसके साथ था ऐसा राज जिसे जानकर अर्जुन डर गया।

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mahima returns story, Image Source Canva

Mystery Twist Love Story: बारिश उस दिन भी बेहद हल्की और शांत थी, जैसे मौसम किसी अनकही कहानी का इशारा दे रहा हो। कॉलेज की भीगी पगडंडियों पर अर्जुन जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ा रहा था, चलते-चलते जब अचानक उसकी नज़र एक लड़की पर पड़ी। वह लड़की भीगी हुई बारिश और हवा के बीच खड़ी थी, हाथ में गर्म कॉफी का कप थामे हुए। उसके बालों से टपकती हुई पानी की बूंदें, चेहरे पर हल्की चमक और बड़ी शांत और प्यारी आँखें, यह सब देख अर्जुन कुछ पल के लिए वही रुक जाता है।

वह लड़की थी- महिमा

महिमा ने बस हल्की-सी मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा था, और उसी मुस्कान ने अर्जुन के भीतर एक अजीब-सी हलचल पैदा कर दी, ऐसा लगा रहा था जैसे ये पहले नजर का प्यार था। उस दिन के बाद से, अर्जुन खुद को उसकी ओर खिंचता महसूस करने लगा, अक्सर उसे वो चोरी-छुपी नजरो से उसे फॉलो करने लगा।

कुछ दिन के बाद धीरे-धीरे दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत हो गई। कई बार कैंटीन में इत्तेफाक से टकराना, लाइब्रेरी में एक ही टेबल पर बैठना, और फिर क्लास के बाद हल्की-फुल्की बातें, सब मिलाकर दोनों के बीच अब एक गहरी दोस्ती जन्म लेने लगी, उन दोनों की दोस्ती प्यार में कब बदली खुद उन दोनों को भी पता नहीं चला।

प्यार का धीमा लेकिन गहरा सफर तय करने लगा।

अब ये दोस्ती का सफर धीरे-धीरे प्यार के रास्ते पर उतरने लगा। महिमा की छोटी-छोटी बातों से भी अर्जुन खुश हो जाता था। महिमा भी अर्जुन के साथ इतना सहज महसूस करने लगी कि उसकी हंसी पहले से हल्की, लेकिन ज़्यादा सच्ची लगने लगी थी। कॉलेज के आखिरी साल तक दोनों उनके रिश्ते की गहराई और प्यार को काफी अच्छे से महसूस करने लगे थे।

फिर कॉलेज खत्म हुआ और कॉलेज के बाद दोनों ने जानबूझकर एक ही शहर में नौकरी करने का फैसला लिया, ताकि वे दोनों एक-दूसरे के और ज्यादा करीब रह सकें। शाम की चाय, छुट्टियों में लंबी सैर और रविवार की फिल्में देखना, अब उनकी लाइफस्टाइल एक दूसरे से जुड़ चुकी थी।

इस दौरान अर्जुन कई बार महिमा से शादी की बात किया की अब हम दोनों को शादी कर लेना चाहिए। लेकिन हर बार महिमा मुस्कुरा कर कहती—”अभी नहीं… सही समय आने दो, ये अभी शादी का समय नहीं है “
लेकिन महिमा की उस मुस्कान में एक गहराई थी, जो अर्जुन कभी समझ ही नहीं पाया।

महिमा का अचानक गायब हो जाना।

उनके इस प्यार भरे रिश्ते को तीन साल पूरे होने में बस एक हफ्ता बचा था। अर्जुन ने उसी दिन महिमा को खास अंदाज़ में प्रपोज करने की तैयारी किया था, बिना मुस्कान को बताये। उसने रिंग खरीद ली थी और अपने सुनहरे भविष्य की पूरी योजना बना ली थी। लेकिन किस्मत ने उस हफ्ते उसके हर सपने को तोड़ कर रख दिया।

एक सुबह की बात है अर्जुन महिमा को फोन किया लेकिन महिमा का फोन अचानक स्विच ऑफ मिलने लगा। अर्जुन ने तो पहले इसे सामान्य समझा, लेकिन दोपहर तक भी कोई संपर्क नहीं हुआ। ऑफिस में पता चला कि महिमा पिछले दो दिनों से नहीं आई थी। जब अर्जुन उसके घर पहुंचा तो दरवाज़े पर ताला लगा मिला। पड़ोसियों से जानकारी हासिल करने की कोसिस किया लेकिन कोई जानकारी हाथ नहीं लगी।

अर्जुन ने उसकी दोस्तों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से भी संपर्क किया, लेकिन महिमा के बारे में ज्यादा कुछ कोई भी नहीं बता पाया, जैसे वो हवा में कही खो गई थी।

ऐसे ही दिन बीतते गए, अब अर्जुन की भी जांच धीमी पड़ती गई, लेकिन अर्जुन का दिल हमेशा एक उम्मीद में रहता था। वह अक्सर सोचता था किसी दिन महिमा वापस आएगी और बताएगी कि वह कहाँ थी। लेकिन अर्जुन की ये उम्मीद भी तीन साल की खामोशी में बदल गई।

तीन साल बाद उस रात सब बदल दिया।

एक रात की बात है अर्जुन अपने कमरे में बैठा अपनी पुरानी यादों में खोया हुआ था। चारों ओर महिमा की ही यादें थीं, तस्वीरें, पुराने मैसेज, वो रिंग जो कभी इस्तेमाल ही नहीं हुई। बाहर हवा हल्के से चल रही थी और कमरे के परदे धीमी आवाज़ में हिल रहे थे। तभी अचानक डोरबेल बजी।

अर्जुन का दिल एक सेकंड के लिए धड़कना भूल गया। वह धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर बढ़ा, जैसे किसी अदृश्य ताकत ने उसे खींच लिया हो। उसने दरवाज़ा खोला, और देखा सामने महिमा खड़ी थी।

पर वह महिमा नहीं थी जिसे उसने प्यार किया था। उसके चेहरे पर थकान थी, आँखों के नीचे गहरे काले घेरे थे, और उसकी निगाहों में डर और दर्द जैसे ठहरे हुए थे।

अर्जुन उसे देखकर भावुक हो उठा, लेकिन जब वह उसे गले लगाने के लिए बढ़ा, महिमा पीछे हट गई। उसने अपने कांपते हुए हाथों में पकड़ी एक पुरानी डायरी अर्जुन की तरफ बढ़ाई।

कालिख जैसी धूल से भरी डायरी उन तीन सालों के दर्द की गवाही दे रही थी।

डायरी के पन्नों में छुपा हुआ कला सच।

अर्जुन ने डायरी खोली और पढ़ना शुरू किया। शब्द थरथराते हुए लिखे गए थे। उसमें लिखा था कि तीन साल पहले महिमा को अपने घर में अजीब आवाजें सुनाई देने लगी थीं। उसे अक्सर महसूस होता था कि कोई उसकी हर गतिविधि पर नजर रख रहा है। कभी उसे सीढ़ियों पर कदमों की आवाज सुनाई देती, कभी कमरे में अचानक चीजें गिरने लगतीं।

शुरुआत में उसने यह सब वहम समझा। लेकिन फिर उसे धमकी भरे संदेश मिलने लगे कि वह अर्जुन से दूर रहे।

धीरे-धीरे वह डर महिमा की जिंदगी पर हावी हो गया। एक रात किसी ने उसके घर में घुसने की कोशिश की। कुछ दिनों बाद उसे एक काले शीशे वाली गाड़ी में धकेल दिया गया। उसे आंखों पर पट्टी बांधकर एक पुराने, सुनसान गेस्ट हाउस में छोड़ दिया गया। महीनों तक वह वहीं कैद रही।

उसे खाना मिलता तो था, लेकिन कोई सामने नहीं आता था। दीवारों के पीछे से बस एक आवाज आती थी—
अर्जुन से दूर रहो।

महिमा जैसे-जैसे लिखती गई, अर्जुन के भीतर का डर बढता गया।

डायरी के अंतिम पन्ने पर लिखा था,
“मैं जिस दिन वापस आऊंगी, उस दिन अर्जुन की जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी।”

वह सच जिसने अर्जुन की आत्मा को अंदर से हिला दिया।

अर्जुन डायरी लेकर महिमा के पास लौटा। उसकी आवाज़ में दर्द और सवाल दोनों थे। उसने पूछा कि यह सब किसने किया, कौन था जो उन्हें अलग रखना चाहता था।

महिमा कुछ देर चुप रही। उसकी आँखें भर आईं थीं, जैसे वह सच बोलने से खुद भी डर रही हो। फिर उसने बहुत धीमी आवाज़ में कहा कि यह सब किसी और ने नहीं, बल्कि खुद अर्जुन ने किया था।

अर्जुन के लिए यह बात किसी झटके से कम नहीं था। उसे लगा महिमा कुछ गलत समझ रही है। उसका कहना था कि वह कभी ऐसा कर ही नहीं सकता।

लेकिन महिमा उसकी सफाई सुनने नहीं, अब सच दिखाने आई थी। उसने अपनी जेब से फोन निकाला और उसमें एक रिकॉर्डिंग चलाकर गुस्से में अर्जुन के हाथों में थमा दी।

कमरे में अचानक एक आवाज़ गूँज उठी, यह अर्जुन की ही आवाज़ थी। लेकिन वह आवाज गुस्से, नफरत और ठंडेपन से भरी हुई थी। उस आवाज़ में अर्जुन साफ-साफ कह रहा था कि महिमा उसके लिए खतरा है और अगर वह उसके करीब आई तो वह उसे खत्म कर के रख देगा।

रिकॉर्डिंग खत्म होते ही अर्जुन के हाथ से फोन लगभग गिर गया। उसकी सांसें तेज हो गईं। जैसे उसे अपनी ही आवाज़ अनजान लगने लगी। जैसे उसके अंदर कोई और भी था, कोई ऐसा जिसे वह जानता ही नहीं।

एक ऐसा अंत जिसने दोनों की जिंदगी को अलग रास्तों पर मोड़ दिया।

महिमा ने कहा कि अर्जुन को स्प्लिट पर्सनैलिटी है। उसके अंदर एक और ‘अर्जुन’ है, एक ऐसा रूप जो महिमा से नफरत करता था और उसे अर्जुन से दूर रखना चाहता था। उस ‘दूसरे’ अर्जुन की वजह से महिमा तीन साल तक कैद रही, और असली अर्जुन को इसकी भनक तक नहीं लगी।

अर्जुन की आँखों में अब सिर्फ डर था, डर अपने ही भीतर छिपे किसी ऐसे हिस्से से जो की उसके नियंत्रण में नहीं था।

महिमा उठी और दरवाज़े की ओर बढ़ी। वह रुकी नहीं, बस जाते-जाते इतनी ही बात कह गई कि वह उसे छोड़कर इसलिए नहीं गई थी कि वह उससे दूर होना चाहती थी, बल्कि इसलिए कि उसकी जिंदगी बच सके।

और आज वह लौटी थी, मोहब्बत निभाने के लिए नहीं, सिर्फ अर्जुन को उसके सच से मिलाने के लिए।

महिमा के कदमों की आवाज धीरे-धीरे गायब हो गई, और अर्जुन कमरे के बीचोंबीच सन्न खड़ा रह गया, अपने ही भीतर के अंधेरे से सामना करते हुए।

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कंचन, BuzzExpose पर बॉलीवुड और लाइफस्टाइल से जुड़ी दिलचस्प खबरें लिखती हैं। इन्हें फिल्मी दुनिया की हर हलचल, फैशन ट्रेंड्स और सेलिब्रिटीज़ की रियल लाइफ कहानियाँ पढ़ना और साझा करना पसंद है।
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